Monday, 23 November 2015

NAUHA/LYRICS/PYASI HAI SAKINA

No comments:

हाये सकीना....हाये  सकीना
सकीना.. सकीना ..सकीना

ऐ बाद शब आ जाके ये अम्मू को बताना...
प्यासी हे शकीना😢😢😢

ईस छोटे से सीन मे ये सीतम मैने उठाये
अल्लाह किसीको ना यतीम ऐसा बनाये
खुद अपने लहु मे कोई बच्ची ना नहाए
मे तुमको बुलाती रही तुमभी तो न आए
मे बन गई बाद अश्र लईनो का नीशाना

प्यासी हे शकीना 😢😢 😢

पानी 💦 की तलब मुझको खिलाती रही ठोकर
कहता था लई दूंगा मे फौजो को पिलाकर
जब सिम् लई कर चुका शहेराब ए लश्कर
दीखलाके मुझे  फेंक दिया पानी 💦 जमी पर
तब समझी मे क्या होता है उम्मीद दिलाना

प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢

ऐक जाम हुआ शामे गरीबा मे मयस्सर
वो कुंजा मे रख आई थी असगर की लहद पर
था मुझसे भी छोटा मेरा भैया मेरा दिलबर
शर्मिंदा मे हो जाती चचा प्यास बुझाकर
अब अपने ही हाथो से मेरी प्यास बुझाना

प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢

ऐक रस्सी मे हम सब के गले बांध के आदा
करते हुए तसहीर चले जानीब ए कुफा
ओर उसपे मुसीबत ये थी कद छोटा था मेरा
उठती थी जो फुफीया तो गला खींचता था मेरा
गर्दन का मेरी जख्म चचा देखने आना

प्यासी है सकीना 😥😢😢

जिस रोजसे असगर को मिला बाबा का सीना
उस रोजसे अम्मू नही सो पाई सकीना
ईस हाल मे जाउंगी मे किस तरह मदीना
आ जाय मुझे मौत हे किस काम का जीना
जागी हु बहुत आके चचा मुझको सुलाना

प्यासी है सकीना 😥😥😥

धर लौट के जाते है हरेक शाम परिंदा किस्मत मे लिखे हे मेरी जिंदा के अंधेरे
कब तक जीउंगी युही अश्को के सहारे
लगता है कि मर जाउंगी अब दुर वतन से
होगा ना मयस्सर मुझे धर लौट के जाना

प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢

अनवर ये सदा परचमे अब्बास से आई
मे भुल नही शकता सकीना मेरी बच्ची
काटे गए बाजू मेरे मजबूर था बीबी
मशकीजा अलम मे है लगा देखले अबभी
परचम का मेरे काम हे दुनिया 🌍 को बताना

प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢
प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢
प्यासी हे शकीना 😢 😢 😢

No comments:

Post a Comment

 
back to top